قَالُوْا يٰشُعَيْبُ مَا نَفْقَهُ كَثِيْرًا مِّمَّا تَقُوْلُ وَاِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْنَا ضَعِيْفًا ۗوَلَوْلَا رَهْطُكَ لَرَجَمْنٰكَ ۖوَمَآ اَنْتَ عَلَيْنَا بِعَزِيْزٍ ( هود: ٩١ )
Qaloo ya shu'aybu ma nafqahu katheeran mimma taqoolu wainna lanaraka feena da'eefan walawla rahtuka larajamnaka wama anta 'alayna bi'azeezin (Hūd 11:91)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्होंने कहा, 'ऐ शुऐब! तेरी बहुत-सी बातों को समझने में तो हम असमर्थ है। और हम तो तुझे देखते है कि तू हमारे मध्य अत्यन्त निर्बल है। यदि तेरे भाई-बन्धु न होते तो हम पत्थर मार-मारकर कभी का तुझे समाप्त कर चुके होते। तू इतने बल-बूतेवाला तो नहीं कि हमपर भारी हो।'
English Sahih:
They said, "O Shuaib, we do not understand much of what you say, and indeed, we consider you among us as weak. And if not for your family, we would have stoned you [to death]; and you are not to us one respected." ([11] Hud : 91)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और वह लोग कहने लगे ऐ शुएब जो बाते तुम कहते हो उनमें से अक्सर तो हमारी समझ ही में नहीं आयी और इसमें तो शक नहीं कि हम तुम्हें अपने लोगों में बहुत कमज़ोर समझते है और अगर तुम्हारा क़बीला न होता तो हम तुम को (कब का) संगसार कर चुके होते और तुम तो हम पर किसी तरह ग़ालिब नहीं आ सकते