فَلَمَّا ذَهَبُوْا بِهٖ وَاَجْمَعُوْٓا اَنْ يَّجْعَلُوْهُ فِيْ غَيٰبَتِ الْجُبِّۚ وَاَوْحَيْنَآ اِلَيْهِ لَتُنَبِّئَنَّهُمْ بِاَمْرِهِمْ هٰذَا وَهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ( يوسف: ١٥ )
Falamma thahaboo bihi waajma'oo an yaj'aloohu fee ghayabati aljubbi waawhayna ilayhi latunabiannahum biamrihim hatha wahum la yash'uroona (Yūsuf 12:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर जब वे उसे ले गए और सभी इस बात पर सहमत हो गए कि उसे एक कुएँ की गहराई में डाल दें (तो उन्होंने वह किया जो करना चाहते थे), और हमने उसकी ओर प्रकाशना का, 'तू उन्हें उनके इस कर्म से अवगत कराएगा और वे जानते न होंगे।'
English Sahih:
So when they took him [out] and agreed to put him into the bottom of the well... But We inspired to him, "You will surely inform them [someday] about this affair of theirs while they do not perceive [your identity]." ([12] Yusuf : 15)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ग़रज़ यूसुफ को जब ये लोग ले गए और इस पर इत्तेफ़ाक़ कर लिया कि उसको अन्धे कुएँ में डाल दें और (आख़िर ये लोग गुज़रे तो) हमने युसुफ़ के पास 'वही' भेजी कि तुम घबराओ नहीं हम अनक़रीब तुम्हें मरतबे (उँचे मकाम) पर पहुँचाएगे (तब तुम) उनके उस फेल (बद) से तम्बीह (आग़ाह) करोगे