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وَقَالَ الَّذِيْ نَجَا مِنْهُمَا وَادَّكَرَ بَعْدَ اُمَّةٍ اَنَا۠ اُنَبِّئُكُمْ بِتَأْوِيْلِهٖ فَاَرْسِلُوْنِ   ( يوسف: ٤٥ )

But said
وَقَالَ
और कहा
the one who
ٱلَّذِى
उस शख़्स ने जो
was saved
نَجَا
निजात पा गया था
of the two
مِنْهُمَا
उन दोनों में से
and remembered
وَٱدَّكَرَ
और उसे याद आ गया
after
بَعْدَ
बाद
a period
أُمَّةٍ
एक मुद्दत के
"I
أَنَا۠
मैं
[I] will inform you
أُنَبِّئُكُم
मैं बताता हूँ तुम्हें
of its interpretation
بِتَأْوِيلِهِۦ
ताबीर इसकी
so send me forth
فَأَرْسِلُونِ
पस भेजो मुझे

Waqala allathee naja minhuma waiddakara ba'da ommatin ana onabbiokum bitaweelihi faarsilooni (Yūsuf 12:45)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इतने में दोनों में सो जो रिहा हो गया था और एक अर्से के बाद उसे याद आया तो वह बोला, 'मैं इसका अर्थ तुम्हें बताता हूँ। ज़रा मुझे (यूसुफ़ के पास) भेज दीजिए।'

English Sahih:

But the one who was freed and remembered after a time said, "I will inform you of its interpretation, so send me forth." ([12] Yusuf : 45)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिसने उन दोनों में से रिहाई पाई थी (साकी) और उसको एक ज़माने के बाद (यूसुफ का क़िस्सा) याद आया बोल उठा कि मुझे (क़ैद ख़ाने तक) जाने दीजिए तो मैं उसकी ताबीर बताए देता हूँ