وَلَمَّا دَخَلُوْا مِنْ حَيْثُ اَمَرَهُمْ اَبُوْهُمْۗ مَا كَانَ يُغْنِيْ عَنْهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ شَيْءٍ اِلَّا حَاجَةً فِيْ نَفْسِ يَعْقُوْبَ قَضٰىهَاۗ وَاِنَّهٗ لَذُوْ عِلْمٍ لِّمَا عَلَّمْنٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ( يوسف: ٦٨ )
Walamma dakhaloo min haythu amarahum aboohum ma kana yughnee 'anhum mina Allahi min shayin illa hajatan fee nafsi ya'qooba qadaha wainnahu lathoo 'ilmin lima 'allamnahu walakinna akthara alnnasi la ya'lamoona (Yūsuf 12:68)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब उन्होंने प्रवेश किया जिस तरह से उनके बाप ने उन्हें आदेश दिया था - अल्लाह की ओर से होनेवाली किसी चीज़ को वह उनसे हटा नहीं सकता था। बस याक़ूब के जी की एक इच्छा थी, जो उसने पूरी कर ली। और निस्संदेह वह ज्ञानवान था, क्योंकि हमने उसे ज्ञान प्रदान किया था; किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं -
English Sahih:
And when they entered from where their father had ordered them, it did not avail them against Allah at all except [it was] a need [i.e., concern] within the soul of Jacob, which he satisfied. And indeed, he was a possessor of knowledge because of what We had taught him, but most of the people do not know. ([12] Yusuf : 68)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब ये सब भाई जिस तरह उनके वालिद ने हुक्म दिया था उसी तरह (मिस्र में) दाख़िल हुए मगर जो हुक्म ख़ुदा की तरफ से आने को था उसे याक़ूब कुछ भी टाल नहीं सकते थे मगर (हाँ) याक़ूब के दिल में एक तमन्ना थी जिसे उन्होंने भी युं पूरा कर लिया क्योंकि इसमे तो शक़ नहीं कि उसे चूंकि हमने तालीम दी थी साहिबे इल्म ज़रुर था मगर बहुतेरे लोग (उससे भी) वाक़िफ नहीं