لَهُمْ عَذَابٌ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَقُّۚ وَمَا لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ( الرعد: ٣٤ )
For them
لَّهُمْ
उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
in
فِى
ज़िन्दगी में
the life
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
(of) the world
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया की
and surely the punishment
وَلَعَذَابُ
और अलबत्ता अज़ाब
(of) the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
(is) harder
أَشَقُّۖ
ज़्यादा सख़्त है
And not
وَمَا
और नहीं
for them
لَهُم
उनके लिए
against
مِّنَ
अल्लाह से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह से
any
مِن
कोई बचाने वाला
defender
وَاقٍ
कोई बचाने वाला
Lahum 'athabun fee alhayati alddunya wala'athabu alakhirati ashaqqu wama lahum mina Allahi min waqin (ar-Raʿd 13:34)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उनके लिए सांसारिक जीवन में भी यातना, तो वह अत्यन्त कठोर है। औऱ कोई भी तो नहीं जो उन्हें अल्लाह से बचानेवाला हो
English Sahih:
For them will be punishment in the life of [this] world, and the punishment of the Hereafter is more severe. And they will not have from Allah any protector. ([13] Ar-Ra'd : 34)