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وَاُدْخِلَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا بِاِذْنِ رَبِّهِمْۗ تَحِيَّتُهُمْ فِيْهَا سَلٰمٌ   ( ابراهيم: ٢٣ )

And will be admitted
وَأُدْخِلَ
और दाख़िल किए जाऐंगे
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
believed
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
and did
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
righteous deeds
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
(to) Gardens
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
flows
تَجْرِى
बहती हैं
from
مِن
उनके नीचे से
underneath it
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
the rivers
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
(will) abide forever
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
in it
فِيهَا
उनमें
by the permission
بِإِذْنِ
इज़्न से
(of) their Lord;
رَبِّهِمْۖ
अपने रब के
their greetings
تَحِيَّتُهُمْ
दुआ- ए -मुलाक़ात उनकी
therein
فِيهَا
उनमें
(will be) peace
سَلَٰمٌ
सलाम (होगा)

Waodkhila allatheena amanoo wa'amiloo alssalihati jannatin tajree min tahtiha alanharu khalideena feeha biithni rabbihim tahiyyatuhum feeha salamun (ʾIbrāhīm 14:23)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इसके विपरीत जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए वे ऐसे बाग़ों में प्रवेश करेंगे जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। उनमें वे अपने रब की अनुमति से सदैव रहेंगे। वहाँ उनका अभिवादन 'सलाम' से होगा

English Sahih:

And those who believed and did righteous deeds will be admitted to gardens beneath which rivers flow, abiding eternally therein by permission of their Lord; and their greeting therein will be, "Peace!" ([14] Ibrahim : 23)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिन लोगों ने (सदक़ दिल से) ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए वह (बेहश्त के) उन बाग़ों में दाख़िल किए जाएँगें जिनके नीचे नहरे जारी होगी और वह अपने परवरदिगार के हुक्म से हमेशा उसमें रहेगें वहाँ उन (की मुलाक़ात) का तोहफा सलाम का हो