وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰى بِاٰيٰتِنَآ اَنْ اَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِ ەۙ وَذَكِّرْهُمْ بِاَيّٰىمِ اللّٰهِ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ( ابراهيم: ٥ )
Walaqad arsalna moosa biayatina an akhrij qawmaka mina alththulumati ila alnnoori wathakkirhum biayyami Allahi inna fee thalika laayatin likulli sabbarin shakoorin (ʾIbrāhīm 14:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ भेजा था कि 'अपनी क़ौम के लोगों को अँधेरों से प्रकाश की ओर निकाल ला और उन्हें अल्लाह के दिवस याद दिला।' निश्चय ही इसमें प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ व्यक्ति के लिए कितनी ही निशानियाँ है
English Sahih:
And We certainly sent Moses with Our signs, [saying], "Bring out your people from darknesses into the light and remind them of the days of Allah." Indeed in that are signs for everyone patient and grateful. ([14] Ibrahim : 5)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और हमने मूसा को अपनी निशानियाँ देकर भेजा (और ये हुक्म दिया) कि अपनी क़ौम को (कुफ्र की) तारिकियों से (ईमान की) रौशनी में निकाल लाओ और उन्हें ख़ुदा के (वह) दिन याद दिलाओ (जिनमें ख़ुदा की बड़ी बड़ी कुदरतें ज़ाहिर हुई) इसमें शक़ नहीं इसमें तमाम सब्र शुक्र करने वालों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं