وَاَرْسَلْنَا الرِّيٰحَ لَوَاقِحَ فَاَنْزَلْنَا مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَاَسْقَيْنٰكُمُوْهُۚ وَمَآ اَنْتُمْ لَهٗ بِخَازِنِيْنَ ( الحجر: ٢٢ )
And We have sent
وَأَرْسَلْنَا
और भेजा हमने
the winds
ٱلرِّيَٰحَ
हवाओं को
fertilizing
لَوَٰقِحَ
बारआवर
and We sent down
فَأَنزَلْنَا
फिर नाज़िल किया हमने
from
مِنَ
आसमान से
the sky
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
water
مَآءً
पानी
and We gave it to you to drink
فَأَسْقَيْنَٰكُمُوهُ
पस पिलाया हमने तुम्हें वो
And not
وَمَآ
और नहीं
you
أَنتُمْ
हो तुम
of it
لَهُۥ
उसे
(are) retainers
بِخَٰزِنِينَ
ज़ख़ीरा करने वाले
Waarsalna alrriyaha lawaqiha faanzalna mina alssamai maan faasqaynakumoohu wama antum lahu bikhazineena (al-Ḥijr 15:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हम ही वर्षा लानेवाली हवाओं को भेजते है। फिर आकाश से पानी बरसाते है और उससे तुम्हें सिंचित करते है। उसके ख़जानादार तुम नहीं हो
English Sahih:
And We have sent the fertilizing winds and sent down water from the sky and given you drink from it. And you are not its retainers. ([15] Al-Hijr : 22)