اُدْعُ اِلٰى سَبِيْلِ رَبِّكَ بِالْحِكْمَةِ وَالْمَوْعِظَةِ الْحَسَنَةِ وَجَادِلْهُمْ بِالَّتِيْ هِيَ اَحْسَنُۗ اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيْلِهٖ وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِيْنَ ( النحل: ١٢٥ )
Od'u ila sabeeli rabbika bialhikmati waalmaw'ithati alhasanati wajadilhum biallatee hiya ahsanu inna rabbaka huwa a'lamu biman dalla 'an sabeelihi wahuwa a'lamu bialmuhtadeena (an-Naḥl 16:125)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अपने रब के मार्ग की ओर तत्वदर्शिता और सदुपदेश के साथ बुलाओ और उनसे ऐसे ढंग से वाद विवाद करो जो उत्तम हो। तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वह उन्हें भी भली-भाँति जानता है जो मार्ग पर है
English Sahih:
Invite to the way of your Lord with wisdom and good instruction, and argue with them in a way that is best. Indeed, your Lord is most knowing of who has strayed from His way, and He is most knowing of who is [rightly] guided. ([16] An-Nahl : 125)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम (लोगों को) अपने परवरदिगार की राह पर हिकमत और अच्छी अच्छी नसीहत के ज़रिए से बुलाओ और बहस व मुबाशा करो भी तो इस तरीक़े से जो लोगों के नज़दीक सबसे अच्छा हो इसमें शक़ नहीं कि जो लोग ख़ुदा की राह से भटक गए उनको तुम्हारा परवरदिगार खूब जानता है