وَلَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَهُ الدِّيْنُ وَاصِبًاۗ اَفَغَيْرَ اللّٰهِ تَتَّقُوْنَ ( النحل: ٥٢ )
And to Him (belongs)
وَلَهُۥ
और उसी के लिए है
whatever
مَا
जो कुछ
(is) in
فِى
आसमानों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
and to Him
وَلَهُ
और उसी के लिए है
(is due) the worship
ٱلدِّينُ
दीन
constantly
وَاصِبًاۚ
दायमी
Then is it other (than)
أَفَغَيْرَ
क्या फिर ग़ैर अल्लाह से
Allah
ٱللَّهِ
क्या फिर ग़ैर अल्लाह से
you fear?
تَتَّقُونَ
तुम डरते हो
Walahu ma fee alssamawati waalardi walahu alddeenu wasiban afaghayra Allahi tattaqoona (an-Naḥl 16:52)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो कुछ आकाशों और धरती में है सब उसी का है। उसी का दीन (धर्म) स्थायी और अनिवार्य है। फिर क्या अल्लाह के सिवा तुम किसी और का डर रखोगे?
English Sahih:
And to Him belongs whatever is in the heavens and the earth, and to Him is [due] worship constantly. Then is it other than Allah that you fear? ([16] An-Nahl : 52)