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قُلِ ادْعُوا اللّٰهَ اَوِ ادْعُوا الرَّحْمٰنَۗ اَيًّا مَّا تَدْعُوْا فَلَهُ الْاَسْمَاۤءُ الْحُسْنٰىۚ وَلَا تَجْهَرْ بِصَلَاتِكَ وَلَا تُخَافِتْ بِهَا وَابْتَغِ بَيْنَ ذٰلِكَ سَبِيْلًا  ( الإسراء: ١١٠ )

Say
قُلِ
कह दीजिए
"Invoke
ٱدْعُوا۟
पुकारो
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
or
أَوِ
या
invoke
ٱدْعُوا۟
पुकारो
the Most Gracious
ٱلرَّحْمَٰنَۖ
रहमान को
By whatever (name)
أَيًّا
जिस (नाम) से भी
By whatever (name)
مَّا
जिस (नाम) से भी
you invoke
تَدْعُوا۟
तुम पुकारोगे
to Him (belongs)
فَلَهُ
तो उसी के लिए हैं
the Most Beautiful Names
ٱلْأَسْمَآءُ
नाम
the Most Beautiful Names
ٱلْحُسْنَىٰۚ
अच्छे-अच्छे
And (do) not
وَلَا
और ना
be loud
تَجْهَرْ
आप आवाज़ बुलन्द कीजिए
in your prayers
بِصَلَاتِكَ
अपनी नमाज़ में
and not
وَلَا
और ना
be silent
تُخَافِتْ
आप पस्त कीजिए
therein
بِهَا
उसे
but seek
وَٱبْتَغِ
और इख़्तियार कीजिए
between
بَيْنَ
दर्मियान
that
ذَٰلِكَ
उसके
a way"
سَبِيلًا
कोई रास्ता

Quli od'oo Allaha awi od'oo alrrahmana ayyan ma tad'oo falahu alasmao alhusna wala tajhar bisalatika wala tukhafit biha waibtaghi bayna thalika sabeelan (al-ʾIsrāʾ 17:110)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'तुम अल्लाह को पुकारो या रहमान को पुकारो या जिस नाम से भी पुकारो, उसके लिए सब अच्छे ही नाम है।' और अपनी नमाज़ न बहुत ऊँची आवाज़ से पढ़ो और न उसे बहुत चुपके से पढ़ो, बल्कि इन दोनों के बीच मध्य मार्ग अपनाओ

English Sahih:

Say, "Call upon Allah or call upon the Most Merciful [ar-Rahman]. Whichever [name] you call – to Him belong the best names." And do not recite [too] loudly in your prayer or [too] quietly but seek between that an [intermediate] way. ([17] Al-Isra : 110)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (तुम को एख़तियार है) ख्वाह उसे अल्लाह (कहकर) पुकारो या रहमान कह कर पुकारो (ग़रज़) जिस नाम को भी पुकारो उसके तो सब नाम अच्छे (से अच्छे) हैं और (ऐ रसूल) न तो अपनी नमाज़ बहुत चिल्ला कर पढ़ो न और न बिल्कुल चुपके से बल्कि उसके दरमियान एक औसत तरीका एख्तेयार कर लो