وَمَنْ اَرَادَ الْاٰخِرَةَ وَسَعٰى لَهَا سَعْيَهَا وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰۤىِٕكَ كَانَ سَعْيُهُمْ مَّشْكُوْرًا ( الإسراء: ١٩ )
And whoever
وَمَنْ
और जो
desires
أَرَادَ
चाहे
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةَ
आख़िरत को
and exerts
وَسَعَىٰ
और वो कोशिश करे
for it
لَهَا
उसके लिए
the effort
سَعْيَهَا
(ज़रूरी) कोशिश उसकी
while he
وَهُوَ
जबकि वो
(is) a believer
مُؤْمِنٌ
मोमिन हो
then those
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
[are]
كَانَ
है
their effort
سَعْيُهُم
कोशिश उनकी
(is) appreciated
مَّشْكُورًا
क़ाबिले क़द्र
Waman arada alakhirata wasa'a laha sa'yaha wahuwa muminun faolaika kana sa'yuhum mashkooran (al-ʾIsrāʾ 17:19)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो आख़िरत चाहता हो और उसके लिए ऐसा प्रयास भी करे जैसा कि उसके लिए प्रयास करना चाहिए और वह हो मोमिन, तो ऐसे ही लोग है जिनके प्रयास की क़द्र की जाएगी
English Sahih:
But whoever desires the Hereafter and exerts the effort due to it while he is a believer – it is those whose effort is ever appreciated [by Allah]. ([17] Al-Isra : 19)