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وَاخْفِضْ لَهُمَا جَنَاحَ الذُّلِّ مِنَ الرَّحْمَةِ وَقُلْ رَّبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّيٰنِيْ صَغِيْرًاۗ  ( الإسراء: ٢٤ )

And lower
وَٱخْفِضْ
और झुकाए रखना
to them
لَهُمَا
उन दोनों के लिए
(the) wing
جَنَاحَ
बाज़ू
(of) humility
ٱلذُّلِّ
आजिज़ी के
(out) of
مِنَ
रहमत से
[the] mercy
ٱلرَّحْمَةِ
रहमत से
and say
وَقُل
और कहना
"My Lord!
رَّبِّ
ऐ मेरे रब
Have mercy on both of them
ٱرْحَمْهُمَا
रहम कीजिए इन दोनों पर
as
كَمَا
जैसा कि
they brought me up
رَبَّيَانِى
इन दोनों ने परवरिश की मेरी
(when I was) small"
صَغِيرًا
बचपन में

Waikhfid lahuma janaha alththulli mina alrrahmati waqul rabbi irhamhuma kama rabbayanee sagheeran (al-ʾIsrāʾ 17:24)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उनके आगे दयालुता से नम्रता की भुजाएँ बिछाए रखो और कहो, 'मेरे रब! जिस प्रकार उन्होंने बालकाल में मुझे पाला है, तू भी उनपर दया कर।'

English Sahih:

And lower to them the wing of humility out of mercy and say, "My Lord, have mercy upon them as they brought me up [when I was] small." ([17] Al-Isra : 24)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उनके सामने नियाज़ (रहमत) से ख़ाकसारी का पहलू झुकाए रखो और उनके हक़ में दुआ करो कि मेरे पालने वाले जिस तरह इन दोनों ने मेरे छोटेपन में मेरी मेरी परवरिश की है