وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ ذُكِّرَ بِاٰيٰتِ رَبِّهٖ فَاَعْرَضَ عَنْهَا وَنَسِيَ مَا قَدَّمَتْ يَدَاهُۗ اِنَّا جَعَلْنَا عَلٰى قُلُوْبِهِمْ اَكِنَّةً اَنْ يَّفْقَهُوْهُ وَفِيْٓ اٰذَانِهِمْ وَقْرًاۗ وَاِنْ تَدْعُهُمْ اِلَى الْهُدٰى فَلَنْ يَّهْتَدُوْٓا اِذًا اَبَدًا ( الكهف: ٥٧ )
Waman athlamu mimman thukkira biayati rabbihi faa'rada 'anha wanasiya ma qaddamat yadahu inna ja'alna 'ala quloobihim akinnatan an yafqahoohu wafee athanihim waqran wain tad'uhum ila alhuda falan yahtadoo ithan abadan (al-Kahf 18:57)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उस व्यक्ति से बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा समझाया गया, तो उसने उनसे मुँह फेर लिया और उसे भूल गया, जो सामान उसके हाथ आगे बढ़ा चुके है? निश्चय ही हमने उनके दिलों पर परदे डाल दिए है कि कहीं वे उसे समझ न लें और उनके कानों में बोझ डाल दिया (कि कहीं वे सुन न ले) । यद्यपि तुम उन्हें सीधे मार्ग की ओर बुलाओ, वे कभी भी मार्ग नहीं पा सकते
English Sahih:
And who is more unjust than one who is reminded of the verses of his Lord but turns away from them and forgets what his hands have put forth? Indeed, We have placed over their hearts coverings, lest they understand it, and in their ears deafness. And if you invite them to guidance – they will never be guided, then – ever. ([18] Al-Kahf : 57)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उससे बढ़कर और कौन ज़ालिम होगा जिसको ख़ुदा की आयतें याद दिलाई जाए और वह उनसे रद गिरदानी (मुँह फेर ले) करे और अपने पहले करतूतों को जो उसके हाथों ने किए हैं भूल बैठे (गोया) हमने खुद उनके दिलों पर परदे डाल दिए हैं कि वह (हक़ बात को) न समझ सकें और (गोया) उनके कानों में गिरानी पैदा कर दी है कि (सुन न सकें) और अगर तुम उनको राहे रास्त की तरफ़ बुलाओ भी तो ये हरगिज़ कभी रुबरु होने वाले नहीं हैं