وَقَالَتِ الْيَهُوْدُ لَيْسَتِ النَّصٰرٰى عَلٰى شَيْءٍۖ وَّقَالَتِ النَّصٰرٰى لَيْسَتِ الْيَهُوْدُ عَلٰى شَيْءٍۙ وَّهُمْ يَتْلُوْنَ الْكِتٰبَۗ كَذٰلِكَ قَالَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ مِثْلَ قَوْلِهِمْ ۚ فَاللّٰهُ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فِيْمَا كَانُوْا فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ( البقرة: ١١٣ )
Waqalati alyahoodu laysati alnnasara 'ala shayin waqalati alnnasara laysati alyahoodu 'ala shayin wahum yatloona alkitaba kathalika qala allatheena la ya'lamoona mithla qawlihim faAllahu yahkumu baynahum yawma alqiyamati feema kanoo feehi yakhtalifoona (al-Baq̈arah 2:113)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यहूदियों ने कहा, 'ईसाईयों की कोई बुनियाद नहीं।' और ईसाइयों ने कहा, 'यहूदियों की कोई बुनियाद नहीं।' हालाँकि वे किताब का पाठ करते है। इसी तरह की बात उन्होंने भी कही है जो ज्ञान से वंचित है। तो अल्लाह क़यामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के विषय में निर्णय कर देगा, जिसके विषय में वे विभेद कर रहे है
English Sahih:
The Jews say, "The Christians have nothing [true] to stand on," and the Christians say, "The Jews have nothing to stand on," although they [both] recite the Scripture. Thus do those who know not [i.e., the polytheists] speak the same as their words. But Allah will judge between them on the Day of Resurrection concerning that over which they used to differ. ([2] Al-Baqarah : 113)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और यहूद कहते हैं कि नसारा का मज़हब कुछ (ठीक) नहीं और नसारा कहते हैं कि यहूद का मज़हब कुछ (ठीक) नहीं हालाँकि ये दोनों फरीक़ किताबे (खुदा) पढ़ते रहते हैं इसी तरह उन्हीं जैसी बातें वह (मुशरेकीन अरब) भी किया करते हैं जो (खुदा के एहकाम) कुछ नहीं जानते तो जिस बात में ये लोग पड़े झगड़ते हैं (दुनिया में तो तय न होगा) क़यामत के दिन खुदा उनके दरमियान ठीक फैसला कर देगा