وَاقْتُلُوْهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ وَاَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ حَيْثُ اَخْرَجُوْكُمْ وَالْفِتْنَةُ اَشَدُّ مِنَ الْقَتْلِ ۚ وَلَا تُقَاتِلُوْهُمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ حَتّٰى يُقٰتِلُوْكُمْ فِيْهِۚ فَاِنْ قٰتَلُوْكُمْ فَاقْتُلُوْهُمْۗ كَذٰلِكَ جَزَاۤءُ الْكٰفِرِيْنَ ( البقرة: ١٩١ )
Waoqtuloohum haythu thaqiftumoohum waakhrijoohum min haythu akhrajookum waalfitnatu ashaddu mina alqatli wala tuqatiloohum 'inda almasjidi alharami hatta yuqatilookum feehi fain qatalookum faoqtuloohum kathalika jazao alkafireena (al-Baq̈arah 2:191)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जहाँ कहीं उनपर क़ाबू पाओ, क़त्ल करो और उन्हें निकालो जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला है, इसलिए कि फ़ितना (उत्पीड़न) क़त्ल से भी बढ़कर गम्भीर है। लेकिन मस्जिदे हराम (काबा) के निकट तुम उनसे न लड़ो जब तक कि वे स्वयं तुमसे वहाँ युद्ध न करें। अतः यदि वे तुमसे युद्ध करें तो उन्हें क़त्ल करो - ऐसे इनकारियों का ऐसा ही बदला है
English Sahih:
And kill them [in battle] wherever you overtake them and expel them from wherever they have expelled you, and fitnah is worse than killing. And do not fight them at al-Masjid al-Haram until they fight you there. But if they fight you, then kill them. Such is the recompense of the disbelievers. ([2] Al-Baqarah : 191)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तुम उन (मुशरिकों) को जहाँ पाओ मार ही डालो और उन लोगों ने जहाँ (मक्का) से तुम्हें शहर बदर किया है तुम भी उन्हें निकाल बाहर करो और फितना परदाज़ी (शिर्क) खूँरेज़ी से भी बढ़ के है और जब तक वह लोग (कुफ्फ़ार) मस्ज़िद हराम (काबा) के पास तुम से न लडे तुम भी उन से उस जगह न लड़ों पस अगर वह तुम से लड़े तो बेखटके तुम भी उन को क़त्ल करो काफ़िरों की यही सज़ा है