فَاِنْ لَّمْ تَفْعَلُوْا فَأْذَنُوْا بِحَرْبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۚ وَاِنْ تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُءُوْسُ اَمْوَالِكُمْۚ لَا تَظْلِمُوْنَ وَلَا تُظْلَمُوْنَ ( البقرة: ٢٧٩ )
And if
فَإِن
फिर अगर
not
لَّمْ
ना
you do
تَفْعَلُوا۟
तुम करो
then be informed
فَأْذَنُوا۟
तो ऐलान सुन लो
of a war
بِحَرْبٍ
जंग का
from
مِّنَ
अल्लाह से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह से
and His Messenger
وَرَسُولِهِۦۖ
और उसके रसूल से
And if
وَإِن
और अगर
you repent
تُبْتُمْ
तौबा कर लो तुम
then for you
فَلَكُمْ
तो तुम्हारे लिए है
(is)
رُءُوسُ
असल
your capital
أَمْوَٰلِكُمْ
तुम्हारे मालों का
(do) not
لَا
ना तुम ज़ुल्म करोगे
wrong
تَظْلِمُونَ
ना तुम ज़ुल्म करोगे
and not
وَلَا
और ना
you will be wronged
تُظْلَمُونَ
तुम ज़ुल्म किए जाओगे
Fain lam taf'aloo fathanoo biharbin mina Allahi warasoolihi wain tubtum falakum ruoosu amwalikum la tathlimoona wala tuthlamoona (al-Baq̈arah 2:279)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर यदि तुमने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से युद्ध के लिए ख़बरदार हो जाओ। और यदि तौबा कर लो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम अन्याय करो और न तुम्हारे साथ अन्याय किया जाए
English Sahih:
And if you do not, then be informed of a war [against you] from Allah and His Messenger. But if you repent, you may have your principal – [thus] you do no wrong, nor are you wronged. ([2] Al-Baqarah : 279)