وَاتَّقُوْا يَوْمًا لَّا تَجْزِيْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَيْـًٔا وَّلَا يُقْبَلُ مِنْهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا يُؤْخَذُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا هُمْ يُنْصَرُوْنَ ( البقرة: ٤٨ )
And fear
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
a day
يَوْمًا
उस दिन से
(will) not
لَّا
ना काम आएगा
avail
تَجْزِى
ना काम आएगा
any soul
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
for
عَن
किसी नफ़्स के
(another) soul
نَّفْسٍ
किसी नफ़्स के
anything
شَيْـًٔا
कुछ भी
and not
وَلَا
और ना
will be accepted
يُقْبَلُ
क़ुबूल की जाएगी
from it
مِنْهَا
उससे
any intercession
شَفَٰعَةٌ
कोई सिफ़ारिश
and not
وَلَا
और ना
will be taken
يُؤْخَذُ
लिया जाएगा
from it
مِنْهَا
उससे
a compensation
عَدْلٌ
कोई बदला
and not
وَلَا
और ना
they
هُمْ
वो
will be helped
يُنصَرُونَ
वो मदद किए जाऐंगे
Waittaqoo yawman la tajzee nafsun 'an nafsin shayan wala yuqbalu minha shafa'atun wala yukhathu minha 'adlun wala hum yunsaroona (al-Baq̈arah 2:48)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और डरो उस दिन से जब न कोई किसी भी ओर से कुछ तावान भरेगा और न किसी की ओर से कोई सिफ़ारिश ही क़बूल की जाएगी और न किसी की ओर से कोई फ़िद्या (अर्थदंड) लिया जाएगा और न वे सहायता ही पा सकेंगे।
English Sahih:
And fear a Day when no soul will suffice for another soul at all, nor will intercession be accepted from it, nor will compensation be taken from it, nor will they be aided. ([2] Al-Baqarah : 48)