فَوَيْلٌ لِّلَّذِيْنَ يَكْتُبُوْنَ الْكِتٰبَ بِاَيْدِيْهِمْ ثُمَّ يَقُوْلُوْنَ هٰذَا مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ لِيَشْتَرُوْا بِهٖ ثَمَنًا قَلِيْلًا ۗفَوَيْلٌ لَّهُمْ مِّمَّا كَتَبَتْ اَيْدِيْهِمْ وَوَيْلٌ لَّهُمْ مِّمَّا يَكْسِبُوْنَ ( البقرة: ٧٩ )
Fawaylun lillatheena yaktuboona alkitaba biaydeehim thumma yaqooloona hatha min 'indi Allahi liyashtaroo bihi thamanan qaleelan fawaylun lahum mimma katabat aydeehim wawaylun lahum mimma yaksiboona (al-Baq̈arah 2:79)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तो विनाश और तबाही है उन लोगों के लिए जो अपने हाथों से किताब लिखते हैं फिर कहते हैं, 'यह अल्लाह की ओर से है', ताकि उसके द्वारा थोड़ा मूल्य प्राप्त कर लें। तो तबाही है उनके हाथों ने लिखा और तबाही है उनके लिए उसके कारण जो वे कमा रहे हैं
English Sahih:
So woe to those who write the "scripture" with their own hands, then say, "This is from Allah," in order to exchange it for a small price. Woe to them for what their hands have written and woe to them for what they earn. ([2] Al-Baqarah : 79)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
पस वाए हो उन लोगों पर जो अपने हाथ से किताब लिखते हैं फिर (लोगों से कहते फिरते) हैं कि ये खुदा के यहाँ से (आई) है ताकि उसके ज़रिये से थोड़ी सी क़ीमत (दुनयावी फ़ायदा) हासिल करें पस अफसोस है उन पर कि उनके हाथों ने लिखा और फिर अफसोस है उनपर कि वह ऐसी कमाई करते हैं