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فَاصْبِرْ عَلٰى مَا يَقُوْلُوْنَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوْعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوْبِهَا ۚوَمِنْ اٰنَاۤئِ الَّيْلِ فَسَبِّحْ وَاَطْرَافَ النَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضٰى  ( طه: ١٣٠ )

So be patient
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
over
عَلَىٰ
उस पर जो
what
مَا
उस पर जो
they say
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
and glorify
وَسَبِّحْ
और तस्बीह कीजिए
with praise
بِحَمْدِ
साथ हम्द के
(of) your Lord
رَبِّكَ
अपने रब की
before
قَبْلَ
पहले
(the) rising
طُلُوعِ
सूरज तुलूअ होने से
(of) the sun
ٱلشَّمْسِ
सूरज तुलूअ होने से
and before
وَقَبْلَ
और पहले
its setting;
غُرُوبِهَاۖ
उसके ग़ुरुब होने से
and from
وَمِنْ
और कुछ
(the) hours
ءَانَآئِ
घड़ियाँ
(of) the night
ٱلَّيْلِ
रात की
and glorify
فَسَبِّحْ
पस तस्बीह कीजिए
(at the) ends
وَأَطْرَافَ
और किनारों पर
(of) the day
ٱلنَّهَارِ
दिन के
so that you may
لَعَلَّكَ
ताकि आप
be satisfied
تَرْضَىٰ
आप राज़ी हो जाऐं

Faisbir 'ala ma yaqooloona wasabbih bihamdi rabbika qabla tuloo'i alshshamsi waqabla ghuroobiha wamin anai allayli fasabbih waatrafa alnnahari la'allaka tarda (Ṭāʾ Hāʾ 20:130)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ

English Sahih:

So be patient over what they say and exalt [Allah] with praise of your Lord before the rising of the sun and before its setting; and during periods of the night [exalt Him] and at the ends of the day, that you may be satisfied. ([20] Taha : 130)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) जो कुछ ये कुफ्फ़ार बका करते हैं तुम उस पर सब्र करो और आफ़ताब निकलने के क़ब्ल और उसके ग़ुरूब होने के क़ब्ल अपने परवरदिगार की हम्दोसना के साथ तसबीह किया करो और कुछ रात के वक़्तों में और दिन के किनारों में तस्बीह करो ताकि तुम निहाल हो जाओ