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قُلْ كُلٌّ مُّتَرَبِّصٌ فَتَرَبَّصُوْاۚ فَسَتَعْلَمُوْنَ مَنْ اَصْحٰبُ الصِّرَاطِ السَّوِيِّ وَمَنِ اهْتَدٰى ࣖ ۔  ( طه: ١٣٥ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Each
كُلٌّ
सबके सब
(is) waiting;
مُّتَرَبِّصٌ
इन्तिज़ार करने वाले हैं
so await
فَتَرَبَّصُوا۟ۖ
तो तुम भी इन्तिज़ार करो
Then you will know
فَسَتَعْلَمُونَ
पस अनक़रीब तुम जान लोगे
who
مَنْ
कौन
(are the) companions
أَصْحَٰبُ
साथी हैं
(of) the way
ٱلصِّرَٰطِ
रास्ते
[the] even
ٱلسَّوِىِّ
सीधे के
and who
وَمَنِ
और किसने
is guided"
ٱهْتَدَىٰ
हिदायत पाई

Qul kullun mutarabbisun fatarabbasoo fasata'lamoona man ashabu alssirati alssawiyyi wamani ihtada (Ṭāʾ Hāʾ 20:135)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'हर एक प्रतीक्षा में है। अतः अब तुम भी प्रतीक्षा करो। शीघ्र ही तुम जान लोगे कि कौन सीधे मार्गवाला है और किनको मार्गदर्शन प्राप्त है।'

English Sahih:

Say, "Each [of us] is waiting; so wait. For you will know who are the companions of the sound path and who is guided." ([20] Taha : 135)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

रसूल तुम कह दो कि हर शख्स (अपने अन्जामकार का) मुन्तिज़र है तो तुम भी इन्तिज़ार करो फिर तो तुम्हें बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि सीधी राह वाले कौन हैं (और कज़ी पर कौन हैं) हिदायत याफ़ता कौन है और गुमराह कौन है।