فَرَجَعَ مُوْسٰٓى اِلٰى قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًا ەۚ قَالَ يٰقَوْمِ اَلَمْ يَعِدْكُمْ رَبُّكُمْ وَعْدًا حَسَنًا ەۗ اَفَطَالَ عَلَيْكُمُ الْعَهْدُ اَمْ اَرَدْتُّمْ اَنْ يَّحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَخْلَفْتُمْ مَّوْعِدِيْ ( طه: ٨٦ )
Faraja'a moosa ila qawmihi ghadbana asifan qala ya qawmi alam ya'idkum rabbukum wa'dan hasanan afatala 'alaykumu al'ahdu am aradtum an yahilla 'alaykum ghadabun min rabbikum faakhlaftum maw'idee (Ṭāʾ Hāʾ 20:86)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?'
English Sahih:
So Moses returned to his people, angry and grieved. He said, "O my people, did your Lord not make you a good promise? Then, was the time [of its fulfillment] too long for you, or did you wish that wrath from your Lord descend upon you, so you broke your promise [of obedience] to me?" ([20] Taha : 86)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(तो मूसा) गुस्से में भरे पछताए हुए अपनी क़ौम की तरफ पलटे और आकर कहने लगे ऐ मेरी (क़म्बख्त) क़ौम क्या तुमसे तुम्हारे परवरदिगार ने एक अच्छा वायदा (तौरेत देने का) न किया था तुम्हारे वायदे में अरसा लग गया या तुमने ये चाहा कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार का ग़ज़ब टूंट पड़े कि तुमने मेरे वायदे (खुदा की परसतिश) के ख़िलाफ किया