يَوْمَ نَطْوِى السَّمَاۤءَ كَطَيِّ السِّجِلِّ لِلْكُتُبِۗ كَمَا بَدَأْنَآ اَوَّلَ خَلْقٍ نُّعِيْدُهٗۗ وَعْدًا عَلَيْنَاۗ اِنَّا كُنَّا فٰعِلِيْنَ ( الأنبياء: ١٠٤ )
Yawma natwee alssamaa katayyi alssijlli lilkutubi kama badana awwala khalqin nu'eeduhu wa'dan 'alayna inna kunna fa'ileena (al-ʾAnbiyāʾ 21:104)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे, जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकाऱ पहले हमने सृष्टि का आरम्भ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृत्ति करेंगे। यह हमारे ज़िम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें यह करना है
English Sahih:
The Day when We will fold the heaven like the folding of a [written] sheet for the records. As We began the first creation, We will repeat it. [That is] a promise binding upon Us. Indeed, We will do it. ([21] Al-Anbya : 104)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ये) वह दिन (होगा) जब हम आसमान को इस तरह लपेटेगे जिस तरह ख़तों का तूमार लपेटा जाता है जिस तरह हमने (मख़लूक़ात को) पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) दोबारा (पैदा) कर छोड़ेगें (ये वह) वायदा (है जिसका करना) हम पर (लाज़िम) है और हम उसे ज़रूर करके रहेंगे