لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَاِنَّ اللّٰهَ لَهُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ࣖ ( الحج: ٦٤ )
For Him
لَّهُۥ
उसी के लिए है
(is) whatever
مَا
जो कुछ
(is) in
فِى
आसमानों में है
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
and whatever
وَمَا
और जो कुछ
(is) in
فِى
ज़मीन में है
the earth
ٱلْأَرْضِۗ
ज़मीन में है
And indeed
وَإِنَّ
और बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
surely He
لَهُوَ
अलबत्ता वो
(is) Free of need
ٱلْغَنِىُّ
बहुत बेनियाज़ है
the Praiseworthy
ٱلْحَمِيدُ
बहुत तारीफ़ वाला है
Lahu ma fee alssamawati wama fee alardi wainna Allaha lahuwa alghaniyyu alhameedu (al-Ḥajj 22:64)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसी का है जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है। निस्संदेह अल्लाह ही निस्पृह प्रशंसनीय है
English Sahih:
To Him belongs what is in the heavens and what is on the earth. And indeed, Allah is the Free of need, the Praiseworthy. ([22] Al-Hajj : 64)