Skip to main content

اَلَمْ تَكُنْ اٰيٰتِيْ تُتْلٰى عَلَيْكُمْ فَكُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُوْنَ  ( المؤمنون: ١٠٥ )

"Were not
أَلَمْ
क्या ना
"Were not
تَكُنْ
थीं
My Verses
ءَايَٰتِى
आयात मेरी
recited
تُتْلَىٰ
पढ़ी जातीं
to you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
and you used (to)
فَكُنتُم
तो थे तुम
deny them?"
بِهَا
उन्हें
deny them?"
تُكَذِّبُونَ
तुम झुठलाते

Alam takun ayatee tutla 'alaykum fakuntum biha tukaththiboona (al-Muʾminūn 23:105)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(कहा जाएगा,) 'क्या तुम्हें मेरी आयातें सुनाई नहीं जाती थी, तो तुम उन्हें झुठलाते थे?'

English Sahih:

[It will be said], "Were not My verses recited to you and you used to deny them?" ([23] Al-Mu'minun : 105)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(उस वक्त हम पूछेंगें) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें न पढ़ी गयीं थीं (ज़रुर पढ़ी गयी थीं) तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे