وَاِذَا بَلَغَ الْاَطْفَالُ مِنْكُمُ الْحُلُمَ فَلْيَسْتَأْذِنُوْا كَمَا اسْتَأْذَنَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰيٰتِهٖۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ( النور: ٥٩ )
Waitha balagha alatfalu minkumu alhuluma falyastathinoo kama istathana allatheena min qablihim kathalika yubayyinu Allahu lakum ayatihi waAllahu 'aleemun hakeemun (an-Nūr 24:59)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब तुममें से बच्चे युवावस्था को पहुँच जाएँ तो उन्हें चाहिए कि अनुमति ले लिया करें जैसे उनसे पहले लोग अनुमति लेते रहे है। इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतों को स्पष्ट करता है। अल्लाह भली-भाँति जाननेवाला, तत्वदर्शी है
English Sahih:
And when the children among you reach puberty, let them ask permission [at all times] as those before them have done. Thus does Allah make clear to you His verses; and Allah is Knowing and Wise. ([24] An-Nur : 59)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ ईमानदारों) जब तुम्हारे लड़के हदे बुलूग को पहुँचें तो जिस तरह उन के कब्ल (बड़ी उम्र) वाले (घर में आने की) इजाज़त ले लिया करते थे उसी तरह ये लोग भी इजाज़त ले लिया करें-यूँ ख़ुदा अपने एहकाम साफ साफ बयान करता है और ख़ुदा तो बड़ा वाकिफकार हकीम है