وَالْقَوَاعِدُ مِنَ النِّسَاۤءِ الّٰتِيْ لَا يَرْجُوْنَ نِكَاحًا فَلَيْسَ عَلَيْهِنَّ جُنَاحٌ اَنْ يَّضَعْنَ ثِيَابَهُنَّ غَيْرَ مُتَبَرِّجٰتٍۢ بِزِيْنَةٍۗ وَاَنْ يَّسْتَعْفِفْنَ خَيْرٌ لَّهُنَّۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ( النور: ٦٠ )
Waalqawa'idu mina alnnisai allatee la yarjoona nikahan falaysa 'alayhinna junahun an yada'na thiyabahunna ghayra mutabarrijatin bizeenatin waan yasta'fifna khayrun lahunna waAllahu samee'un 'aleemun (an-Nūr 24:60)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो स्त्रियाँ युवावस्था से गुज़रकर बैठ चुकी हों, जिन्हें विवाह की आशा न रह गई हो, उनपर कोई दोष नहीं कि वे अपने कपड़े (चादरें) उतारकर रख दें जबकि वे शृंगार का प्रदर्शन करनेवाली न हों। फिर भी वे इससे बचें तो उनके लिए अधिक अच्छा है। अल्लाह भली-भाँति सुनता, जानता है
English Sahih:
And women of post-menstrual age who have no desire for marriage – there is no blame upon them for putting aside their outer garments [but] not displaying adornment. But to modestly refrain [from that] is better for them. And Allah is Hearing and Knowing. ([24] An-Nur : 60)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और बूढ़ी बूढ़ी औरतें जो (बुढ़ापे की वजह से) निकाह की ख्वाहिश नही रखती वह अगर अपने कपड़े (दुपट्टे वगैराह) उतारकर (सर नंगा) कर डालें तो उसमें उन पर कुछ गुनाह नही है- बशर्ते कि उनको अपना बनाव सिंगार दिखाना मंज़ूर न हो और (इस से भी) बचें तो उनके लिए और बेहतर है और ख़ुदा तो (सबकी सब कुछ) सुनता और जानता है