قَالُوْا سُبْحٰنَكَ مَا كَانَ يَنْۢبَغِيْ لَنَآ اَنْ نَّتَّخِذَ مِنْ دُوْنِكَ مِنْ اَوْلِيَاۤءَ وَلٰكِنْ مَّتَّعْتَهُمْ وَاٰبَاۤءَهُمْ حَتّٰى نَسُوا الذِّكْرَۚ وَكَانُوْا قَوْمًاۢ بُوْرًا ( الفرقان: ١٨ )
Qaloo subhanaka ma kana yanbaghee lana an nattakhitha min doonika min awliyaa walakin matta'tahum waabaahum hatta nasoo alththikra wakanoo qawman booran (al-Furq̈ān 25:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे कहेंगे, 'महान और उच्च है तू! यह हमसे नहीं हो सकता था कि तुझे छोड़कर दूसरे संरक्षक बनाएँ। किन्तु हुआ यह कि तूने उन्हें औऱ उनके बाप-दादा को अत्यधिक सुख-सामग्री दी, यहाँ तक कि वे अनुस्मृति को भुला बैठे और विनष्ट होनेवाले लोग होकर रहे।'
English Sahih:
They will say, "Exalted are You! It was not for us to take besides You any allies [i.e., protectors]. But You provided comforts for them and their fathers until they forgot the message and became a people ruined." ([25] Al-Furqan : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(उनके माबूद) अर्ज़ करेंगें- सुबहान अल्लाह (हम तो ख़ुद तेरे बन्दे थे) हमें ये किसी तरह ज़ेबा न था कि हम तुझे छोड़कर दूसरे को अपना सरपरस्त बनाते (फिर अपने को क्यों कर माबूद बनाते) मगर बात तो ये है कि तू ही ने इनको बाप दादाओं को चैन दिया-यहाँ तक कि इन लोगों ने (तेरी) याद भुला दी और ये ख़ुद हलाक होने वाले लोग थे