وَلَقَدْ اٰتَيْنَا دَاوٗدَ وَسُلَيْمٰنَ عِلْمًاۗ وَقَالَا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ فَضَّلَنَا عَلٰى كَثِيْرٍ مِّنْ عِبَادِهِ الْمُؤْمِنِيْنَ ( النمل: ١٥ )
And verily
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
We gave
ءَاتَيْنَا
दिया हमने
Dawood
دَاوُۥدَ
दाऊद
and Sulaiman
وَسُلَيْمَٰنَ
और सुलैमान को
knowledge
عِلْمًاۖ
इल्म
and they said
وَقَالَا
और उन दोनों ने कहा
"Praise be
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
to Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
the One Who
ٱلَّذِى
जिसने
has favored us
فَضَّلَنَا
फ़ज़ीलत दी हमें
over
عَلَىٰ
अक्सरियत पर
many
كَثِيرٍ
अक्सरियत पर
of
مِّنْ
अपने बन्दों में से
His servants
عِبَادِهِ
अपने बन्दों में से
the believers"
ٱلْمُؤْمِنِينَ
जो ईमान लाने वाले हैं
Walaqad atayna dawooda wasulaymana 'ilman waqala alhamdu lillahi allathee faddalana 'ala katheerin min 'ibadihi almumineena (an-Naml 27:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमने दाऊद और सुलैमान को बड़ा ज्ञान प्रदान किया था, (उन्होंने उसके महत्व को जाना) और उन दोनों ने कहा, 'सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अपने बहुत-से ईमानवाले बन्दों के मुक़ाबले में श्रेष्ठता प्रदान की।'
English Sahih:
And We had certainly given to David and Solomon knowledge, and they said, "Praise [is due] to Allah, who has favored us over many of His believing servants." ([27] An-Naml : 15)