اَلَّا يَسْجُدُوْا لِلّٰهِ الَّذِيْ يُخْرِجُ الْخَبْءَ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُخْفُوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ( النمل: ٢٥ )
That not
أَلَّا
ये कि नहीं
they prostrate
يَسْجُدُوا۟
वो सजदा करते
to Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
the One Who
ٱلَّذِى
वो जो
brings forth
يُخْرِجُ
निकालता है
the hidden
ٱلْخَبْءَ
छुपी चीज़ को
in
فِى
आसमानों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में
and knows
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
what
مَا
जो कुछ
you conceal
تُخْفُونَ
तुम छुपाते हो
and what
وَمَا
और जो कुछ
you declare
تُعْلِنُونَ
तुम ज़ाहिर करते हो
Alla yasjudoo lillahi allathee yukhriju alkhabaa fee alssamawati waalardi waya'lamu ma tukhfoona wama tu'linoona (an-Naml 27:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
खि अल्लाह को सजदा न करें जो आकाशों और धरती की छिपी चीज़ें निकालता है, और जानता है जो कुछ भी तुम छिपाते हो और जो कुछ प्रकट करते हो
English Sahih:
[And] so they do not prostrate to Allah, who brings forth what is hidden within the heavens and the earth and knows what you conceal and what you declare – ([27] An-Naml : 25)