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الَّذِيْنَ يُقِيْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَيُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ يُوْقِنُوْنَ   ( النمل: ٣ )

Those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
establish
يُقِيمُونَ
क़ायम करते हैं
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
and give
وَيُؤْتُونَ
और वो अदा करते हैं
zakah
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
and they
وَهُم
और वो
in the Hereafter
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत पर
[they]
هُمْ
वो
believe with certainty
يُوقِنُونَ
वो यक़ीन रखते हैं

Allatheena yuqeemoona alssalata wayutoona alzzakata wahum bialakhirati hum yooqinoona (an-Naml 27:3)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो नमाज़ का आयोजन करते है और ज़कात देते है और वही है जो आख़िरत पर विश्वास रखते है

English Sahih:

Who establish prayer and give Zakah, and of the Hereafter they are certain [in faith]. ([27] An-Naml : 3)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो नमाज़ को पाबन्दी से अदा करते हैं और ज़कात दिया करते हैं और यही लोग आख़िरत (क़यामत) का भी यक़ीन रखते हैं