قَالَتْ يٰٓاَيُّهَا الْمَلَؤُا اَفْتُوْنِيْ فِيْٓ اَمْرِيْۚ مَا كُنْتُ قَاطِعَةً اَمْرًا حَتّٰى تَشْهَدُوْنِ ( النمل: ٣٢ )
She said
قَالَتْ
वो कहने लगी
"O
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ
chiefs!
ٱلْمَلَؤُا۟
सरदारो
Advise me
أَفْتُونِى
जवाब दो मुझे
in
فِىٓ
मेरे मामले में
my affair
أَمْرِى
मेरे मामले में
Not
مَا
नहीं
I would be
كُنتُ
हूँ मैं
the one to decide
قَاطِعَةً
क़तई फ़ैसला करने वाली
any matter
أَمْرًا
किसी काम का
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
you are present with me"
تَشْهَدُونِ
तुम मौजूद हो मेरे पास
Qalat ya ayyuha almalao aftoonee fee amree ma kuntu qati'atan amran hatta tashhadoona (an-Naml 27:32)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने कहा, 'ऐ सरदारों! मेरे मामलें में मुझे परामर्श दो। मैं किसी मामले का फ़ैसला नहीं करती, जब तक कि तुम मेरे पास मौजूद न हो।'
English Sahih:
She said, "O eminent ones, advise me in my affair. I would not decide a matter until you witness [for] me." ([27] An-Naml : 32)