فَاَخَذْنٰهُ وَجُنُوْدَهٗ فَنَبَذْنٰهُمْ فِى الْيَمِّ ۚفَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظّٰلِمِيْنَ ( القصص: ٤٠ )
So We seized him
فَأَخَذْنَٰهُ
तो पकड़ लिया हमने उसे
and his hosts
وَجُنُودَهُۥ
और उसके लश्करों को
and We threw them
فَنَبَذْنَٰهُمْ
फिर फेंक दिया हमने उन्हें
in
فِى
दरया में
the sea
ٱلْيَمِّۖ
दरया में
So see
فَٱنظُرْ
तो देखो
how
كَيْفَ
किस तरह
was
كَانَ
हुआ
(the) end
عَٰقِبَةُ
अंजाम
(of) the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों का
Faakhathnahu wajunoodahu fanabathnahum fee alyammi faonthur kayfa kana 'aqibatu alththalimeena (al-Q̈aṣaṣ 28:40)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अन्ततः हमने उसे औऱ उसकी सेनाओं को पकड़ लिया और उन्हें गहरे पानी में फेंक दिया। अब देख लो कि ज़ालिमों का कैसा परिणाम हुआ
English Sahih:
So We took him and his soldiers and threw them into the sea. So see how was the end of the wrongdoers. ([28] Al-Qasas : 40)