تِلْكَ الدَّارُ الْاٰخِرَةُ نَجْعَلُهَا لِلَّذِيْنَ لَا يُرِيْدُوْنَ عُلُوًّا فِى الْاَرْضِ وَلَا فَسَادًا ۗوَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِيْنَ ( القصص: ٨٣ )
That
تِلْكَ
ये है
the Home
ٱلدَّارُ
घर
(of) the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةُ
आख़िरत का
We assign it
نَجْعَلُهَا
हम बनाते हैं उसे
to those who
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
(do) not
لَا
नहीं वो चाहते
desire
يُرِيدُونَ
नहीं वो चाहते
exaltedness
عُلُوًّا
बुलन्दी
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
and not
وَلَا
और ना
corruption
فَسَادًاۚ
फ़साद
And the good end
وَٱلْعَٰقِبَةُ
और अंजाम
(is) for the righteous
لِلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों के लिए है
Tilka alddaru alakhiratu naj'aluha lillatheena la yureedoona 'uluwwan fee alardi wala fasadan waal'aqibatu lilmuttaqeena (al-Q̈aṣaṣ 28:83)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
आख़िरत का घर हम उन लोगों के लिए ख़ास कर देंगे जो न धरती में अपनी बड़ाई चाहते है और न बिगाड़। परिणाम तो अन्ततः डर रखनेवालों के पक्ष में है
English Sahih:
That home of the Hereafter We assign to those who do not desire exaltedness upon the earth or corruption. And the [best] outcome is for the righteous. ([28] Al-Qasas : 83)