وَقَالَتِ امْرَاَتُ فِرْعَوْنَ قُرَّتُ عَيْنٍ لِّيْ وَلَكَۗ لَا تَقْتُلُوْهُ ۖعَسٰٓى اَنْ يَّنْفَعَنَآ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ( القصص: ٩ )
Waqalati imraatu fir'awna qurratu 'aynin lee walaka la taqtuloohu 'asa an yanfa'ana aw nattakhithahu waladan wahum la yash'uroona (al-Q̈aṣaṣ 28:9)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फ़िरऔन की स्त्री ने कहा, 'यह मेरी और तुम्हारी आँखों की ठंडक है। इसकी हत्या न करो, कदाचित यह हमें लाभ पहुँचाए या हम इसे अपना बेटा ही बना लें।' और वे (परिणाम से) बेख़बर थे
English Sahih:
And the wife of Pharaoh said, "[He will be] a comfort of the eye [i.e., pleasure] for me and for you. Do not kill him; perhaps he may benefit us, or we may adopt him as a son." And they perceived not. ([28] Al-Qasas : 9)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फिरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) ऑंखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी