Skip to main content

قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ لِمَ تَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ تَبْغُوْنَهَا عِوَجًا وَّاَنْتُمْ شُهَدَاۤءُ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ   ( آل عمران: ٩٩ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"O People
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
(of) the Book!
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
Why
لِمَ
क्यों
(do) you hinder
تَصُدُّونَ
तुम रोकते /फेरते हो
from
عَن
अल्लाह के रास्ते से
(the) way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
(those) who
مَنْ
उसे जो
believe[d]
ءَامَنَ
ईमान लाया
seeking (to make) it
تَبْغُونَهَا
तुम तलाश करते हो उसमें
(seem) crooked
عِوَجًا
टेढ़ापन/कजी
while you
وَأَنتُمْ
हालाँकि तुम
(are) witnesses?
شُهَدَآءُۗ
गवाह हो
And not
وَمَا
और नहीं है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
(is) unaware
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
of what
عَمَّا
उससे जो
you do
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो

Qul ya ahla alkitabi lima tasuddoona 'an sabeeli Allahi man amana tabghoonaha 'iwajan waantum shuhadao wama Allahu bighafilin 'amma ta'maloona (ʾĀl ʿImrān 3:99)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'ऐ किताबवालो! तुम ईमान लानेवालों को अल्लाह के मार्ग से क्यो रोकते हो, तुम्हें उसमें किसी टेढ़ की तलाश रहती है, जबकि तुम भली-भाँति वास्तविकता से अवगत हो और जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।'

English Sahih:

Say, "O People of the Scripture, why do you avert from the way of Allah those who believe, seeking to make it [seem] deviant, while you are witnesses [to the truth]? And Allah is not unaware of what you do." ([3] Ali 'Imran : 99)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब दीदए दानिस्ता खुदा की (सीधी) राह में (नाहक़ की) कज़ी ढूंढो (ढूंढ) के ईमान लाने वालों को उससे क्यों रोकते हो ओर जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं है