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وَاِذَآ اَذَقْنَا النَّاسَ رَحْمَةً فَرِحُوْا بِهَاۗ وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ ۢبِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْهِمْ اِذَا هُمْ يَقْنَطُوْنَ  ( الروم: ٣٦ )

And when
وَإِذَآ
और जब
We cause men to taste
أَذَقْنَا
चखाते हैं हम
We cause men to taste
ٱلنَّاسَ
लोगों को
mercy
رَحْمَةً
कोई रहमत
they rejoice
فَرِحُوا۟
वो ख़ुश होते हैं
therein
بِهَاۖ
उस पर
But if
وَإِن
और अगर
afflicts them
تُصِبْهُمْ
पहुँचती है उन्हें
an evil
سَيِّئَةٌۢ
कोई बुराई
for what
بِمَا
बवजह उसके जो
have sent forth
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
their hands
أَيْدِيهِمْ
उनके हाथों ने
behold!
إِذَا
यकायक
They
هُمْ
वो
despair
يَقْنَطُونَ
वो मायूस हो जाते हैं

Waitha athaqna alnnasa rahmatan farihoo biha wain tusibhum sayyiatun bima qaddamat aydeehim itha hum yaqnatoona (ar-Rūm 30:36)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जब हम लोगों को दयालुता का रसास्वादन कराते है तो वे उसपर इतराने लगते है; परन्तु जो कुछ उनके हाथों ने आगे भेजा है यदि उसके कारण उनपर कोई विपत्ति आ जाए, तो क्या देखते है कि वे निराश हो रहे है

English Sahih:

And when We let the people taste mercy, they rejoice therein, but if evil afflicts them for what their hands have put forth, immediately they despair. ([30] Ar-Rum : 36)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब हमने लोगों को (अपनी रहमत की लज्ज़त) चखा दी तो वह उससे खुश हो गए और जब उन्हें अपने हाथों की अगली कारसतानियो की बदौलत कोई मुसीबत पहुँची तो यकबारगी मायूस होकर बैठे रहते हैं