اَلَمْ تَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ وَاَسْبَغَ عَلَيْكُمْ نِعَمَهٗ ظَاهِرَةً وَّبَاطِنَةً ۗوَمِنَ النَّاسِ مَنْ يُّجَادِلُ فِى اللّٰهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَّلَا هُدًى وَّلَا كِتٰبٍ مُّنِيْرٍ ( لقمان: ٢٠ )
Alam taraw anna Allaha sakhkhara lakum ma fee alssamawati wama fee alardi waasbagha 'alaykum ni'amahu thahiratan wabatinatan wamina alnnasi man yujadilu fee Allahi bighayri 'ilmin wala hudan wala kitabin muneerin (Luq̈mān 31:20)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबको तुम्हारे काम में लगा रखा है और उसने तुमपर अपनी प्रकट और अप्रकट अनुकम्पाएँ पूर्ण कर दी है? इसपर भी कुछ लोग ऐसे है जो अल्लाह के विषय में बिना किसी ज्ञान, बिना किसी मार्गदर्शन और बिना किसी प्रकाशमान किताब के झगड़ते है
English Sahih:
Do you not see that Allah has made subject to you whatever is in the heavens and whatever is in the earth and amply bestowed upon you His favors, [both] apparent and unapparent? But of the people is he who disputes about Allah without knowledge or guidance or an enlightening Book [from Him]. ([31] Luqman : 20)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
क्या तुम लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही ने यक़ीनी तुम्हारा ताबेए कर दिया है और तुम पर अपनी ज़ाहिरी और बातिनी नेअमतें पूरी कर दीं और बाज़ लोग (नुसर बिन हारिस वगैरह) ऐसे भी हैं जो (ख्वाह मा ख्वाह) ख़ुदा के बारे में झगड़ते हैं (हालॉकि उनके पास) न इल्म है और न हिदायत है और न कोई रौशन किताब है