قُلْ اِنَّ رَبِّيْ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ وَيَقْدِرُ لَهٗ ۗوَمَآ اَنْفَقْتُمْ مِّنْ شَيْءٍ فَهُوَ يُخْلِفُهٗ ۚوَهُوَ خَيْرُ الرّٰزِقِيْنَ ( سبإ: ٣٩ )
Qul inna rabbee yabsutu alrrizqa liman yashao min 'ibadihi wayaqdiru lahu wama anfaqtum min shayin fahuwa yukhlifuhu wahuwa khayru alrraziqeena (Sabaʾ 34:39)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'मेरा रब ही है जो अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है। और जो कुछ भी तुमने ख़र्च किया, उसकी जगह वह तुम्हें और देगा। वह सबसे अच्छा रोज़ी देनेवाला है।'
English Sahih:
Say, "Indeed, my Lord extends provision for whom He wills of His servants and restricts [it] for him. But whatever thing you spend [in His cause] – He will compensate it; and He is the best of providers." ([34] Saba : 39)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग कर देता है और जो कुछ भी तुम लोग (उसकी राह में) ख़र्च करते हो वह उसका ऐवज देगा और वह तो सबसे बेहतर रोज़ी देनेवाला है