وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰى ۗوَاِنْ تَدْعُ مُثْقَلَةٌ اِلٰى حِمْلِهَا لَا يُحْمَلْ مِنْهُ شَيْءٌ وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰىۗ اِنَّمَا تُنْذِرُ الَّذِيْنَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ۗوَمَنْ تَزَكّٰى فَاِنَّمَا يَتَزَكّٰى لِنَفْسِهٖ ۗوَاِلَى اللّٰهِ الْمَصِيْرُ ( فاطر: ١٨ )
Wala taziru waziratun wizra okhra wain tad'u muthqalatun ila himliha la yuhmal minhu shayon walaw kana tha qurba innama tunthiru allatheena yakhshawna rabbahum bialghaybi waaqamoo alssalata waman tazakka fainnama yatazakka linafsihi waila Allahi almaseeru (Fāṭir 35:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है
English Sahih:
And no bearer of burdens will bear the burden of another. And if a heavily laden soul calls [another] to [carry some of] its load, nothing of it will be carried, even if he should be a close relative. You can only warn those who fear their Lord unseen and have established prayer. And whoever purifies himself only purifies himself for [the benefit of] his soul. And to Allah is the [final] destination. ([35] Fatir : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और याद रहे कि कोई शख्स किसी दूसरे (के गुनाह) का बोझ नहीं उठाएगा और अगर कोई (अपने गुनाहों का) भारी बोझ उठाने वाला अपना बोझ उठाने के वास्ते (किसी को) बुलाएगा तो उसके बारे में से कुछ भी उठाया न जाएगा अगरचे (कोई किसी का) कराबतदार ही (क्यों न) हो (ऐ रसूल) तुम तो बस उन्हीं लोगों को डरा सकते हो जो बे देखे भाले अपने परवरदिगार का ख़ौफ रखते हैं और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते हैं और (याद रखो कि) जो शख्स पाक साफ रहता है वह अपने ही फ़ायदे के वास्ते पाक साफ रहता है और (आख़िरकार सबको हिरफिर के) खुदा ही की तरफ जाना है