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وَمَا عَلَّمْنٰهُ الشِّعْرَ وَمَا يَنْۢبَغِيْ لَهٗ ۗاِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ وَّقُرْاٰنٌ مُّبِيْنٌ ۙ  ( يس: ٦٩ )

And not
وَمَا
और नहीं
We taught him
عَلَّمْنَٰهُ
सिखाया हमने उसे
[the] poetry
ٱلشِّعْرَ
शेअर
and not
وَمَا
और नहीं
it is befitting
يَنۢبَغِى
वो ज़ेब देता
for him
لَهُۥٓۚ
उसे
Not
إِنْ
नहीं है
it
هُوَ
वो
(is) except
إِلَّا
मगर
a Reminder
ذِكْرٌ
एक नसीहत
and a Quran
وَقُرْءَانٌ
और क़ुरआन
clear
مُّبِينٌ
वाज़ेह

Wama 'allamnahu alshshi'ra wama yanbaghee lahu in huwa illa thikrun waquranun mubeenun (Yāʾ Sīn 36:69)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हमने उस (नबी) को कविता नहीं सिखाई और न वह उसके लिए शोभनीय है। वह तो केवल अनुस्मृति और स्पष्ट क़ुरआन है;

English Sahih:

And We did not give him [i.e., Prophet Muhammad (^)] knowledge of poetry, nor is it befitting for him. It is not but a message and a clear Quran ([36] Ya-Sin : 69)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने न उस (पैग़म्बर) को शेर की तालीम दी है और न शायरी उसकी शान के लायक़ है ये (किताब) तो बस (निरी) नसीहत और साफ-साफ कुरान है