قُلْ يٰعِبَادِ الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوْا رَبَّكُمْ ۗلِلَّذِيْنَ اَحْسَنُوْا فِيْ هٰذِهِ الدُّنْيَا حَسَنَةٌ ۗوَاَرْضُ اللّٰهِ وَاسِعَةٌ ۗاِنَّمَا يُوَفَّى الصّٰبِرُوْنَ اَجْرَهُمْ بِغَيْرِ حِسَابٍ ( الزمر: ١٠ )
Qul ya 'ibadi allatheena amanoo ittaqoo rabbakum lillatheena ahsanoo fee hathihi alddunya hasanatun waardu Allahi wasi'atun innama yuwaffa alssabiroona ajrahum bighayri hisabin (az-Zumar 39:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो कि 'ऐ मेरे बन्दो, जो ईमान लाए हो! अपने रब का डर रखो। जिन लोगों ने अच्छा कर दिखाया उनके लिए इस संसार में अच्छाई है, और अल्लाह की धरती विस्तृत है। जमे रहनेवालों को तो उनका बदला बेहिसाब मिलकर रहेगा।'
English Sahih:
Say, "O My servants who have believed, fear your Lord. For those who do good in this world is good, and the earth of Allah is spacious. Indeed, the patient will be given their reward without account [i.e., limit]." ([39] Az-Zumar : 10)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरे ईमानदार बन्दों अपने परवरदिगार (ही) से डरते रहो (क्योंकि) जिन लोगों ने इस दुनिया में नेकी की उन्हीं के लिए (आख़ेरत में) भलाई है और खुदा की ज़मीन तो कुशादा है (जहाँ इबादत न कर सको उसे छोड़ दो) सब्र करने वालों ही की तो उनका भरपूर बेहिसाब बदला दिया जाएगा