اَفَمَنْ شَرَحَ اللّٰهُ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِ فَهُوَ عَلٰى نُوْرٍ مِّنْ رَّبِّهٖ ۗفَوَيْلٌ لِّلْقٰسِيَةِ قُلُوْبُهُمْ مِّنْ ذِكْرِ اللّٰهِ ۗ اُولٰۤىِٕكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ( الزمر: ٢٢ )
Afaman sharaha Allahu sadrahu lilislami fahuwa 'ala noorin min rabbihi fawaylun lilqasiyati quloobuhum min thikri Allahi olaika fee dalalin mubeenin (az-Zumar 39:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अब क्या वह व्यक्ति जिसका सीना (हृदय) अल्लाह ने इस्लाम के लिए खोल दिया, अतः वह अपने रब की ओर से प्रकाश पर है, (उस व्यक्ति के समान होगा जो कठोर हृदय और अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल है)? अतः तबाही है उन लोगों के लिए जिनके दि कठोर हो चुके है, अल्लाह की याद से ख़ाली होकर! वही खुली गुमराही में पड़े हुए है
English Sahih:
So is one whose breast Allah has expanded to [accept] IsLam and he is upon [i.e., guided by] a light from his Lord [like one whose heart rejects it]? Then woe to those whose hearts are hardened against the remembrance of Allah. Those are in manifest error. ([39] Az-Zumar : 22)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो क्या वह शख्स जिस के सीने को खुदा ने (क़ुबूल) इस्लाम के लिए कुशादा कर दिया है तो वह अपने परवरदिगार (की हिदायत) की रौशनी पर (चलता) है मगर गुमराहों के बराबर हो सकता है अफसोस तो उन लोगों पर है जिनके दिल खुदा की याद से (ग़ाफ़िल होकर) सख्त हो गए हैं