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اِنَّآ اَنْزَلْنَآ اِلَيْكَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ لِتَحْكُمَ بَيْنَ النَّاسِ بِمَآ اَرٰىكَ اللّٰهُ ۗوَلَا تَكُنْ لِّلْخَاۤىِٕنِيْنَ خَصِيْمًا ۙ  ( النساء: ١٠٥ )

Indeed
إِنَّآ
बेशक हम
We (have) sent down
أَنزَلْنَآ
नाज़िल की हमने
to you
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
the Book
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
with the truth
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
so that you may judge
لِتَحْكُمَ
ताकि आप फ़ैसला करें
between
بَيْنَ
दर्मियान
the people
ٱلنَّاسِ
लोगों के
with what
بِمَآ
साथ उसके जो
has shown you
أَرَىٰكَ
दिखाया आपको
Allah
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
And (do) not
وَلَا
और ना
be
تَكُن
आप हों
for the deceitful
لِّلْخَآئِنِينَ
ख़यानत करने वालों के लिए
a pleader
خَصِيمًا
झगड़ा करने वाले

Inna anzalna ilayka alkitaba bialhaqqi litahkuma bayna alnnasi bima araka Allahu wala takun lilkhaineena khaseeman (an-Nisāʾ 4:105)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निस्संदेह हमने यह किताब हक़ के साथ उतारी है, ताकि अल्लाह ने जो कुछ तुम्हें दिखाया है उसके अनुसार लोगों के बीच फ़ैसला करो। और तुम विश्वासघाती लोगों को ओर से झगड़नेवाले न बनो

English Sahih:

Indeed, We have revealed to you, [O Muhammad], the Book in truth so you may judge between the people by that which Allah has shown you. And do not be for the deceitful an advocate. ([4] An-Nisa : 105)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) हमने तुमपर बरहक़ किताब इसलिए नाज़िल की है कि ख़ुदा ने तुम्हारी हिदायत की है उसी तरह लोगों के दरमियान फ़ैसला करो और ख्यानत करने वालों के तरफ़दार न बनो