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اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ يُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَهُوَ خَادِعُهُمْۚ وَاِذَا قَامُوْٓا اِلَى الصَّلٰوةِ قَامُوْا كُسَالٰىۙ يُرَاۤءُوْنَ النَّاسَ وَلَا يَذْكُرُوْنَ اللّٰهَ اِلَّا قَلِيْلًاۖ   ( النساء: ١٤٢ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
the hypocrites
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ीन
(seek to) deceive
يُخَٰدِعُونَ
वो धोखा देते हैं
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
and (it is) He
وَهُوَ
हालाँकि वो
who deceives them
خَٰدِعُهُمْ
धोखा देने वाला है उन्हें
And when
وَإِذَا
और जब
they stand
قَامُوٓا۟
वो खड़े होते हैं
for
إِلَى
तरफ़ नमाज़ के
the prayer
ٱلصَّلَوٰةِ
तरफ़ नमाज़ के
they stand
قَامُوا۟
वो खड़े होते हैं
lazily
كُسَالَىٰ
इन्तिहाई सुस्ती से
showing off
يُرَآءُونَ
वो दिखावा करते हैं
(to) the people
ٱلنَّاسَ
लोगों को
and not
وَلَا
और नहीं
they remember
يَذْكُرُونَ
वो याद करते
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
except
إِلَّا
मगर
a little
قَلِيلًا
बहुत थोड़ा

Inna almunafiqeena yukhadi'oona Allaha wahuwa khadi'uhum waitha qamoo ila alssalati qamoo kusala yuraoona alnnasa wala yathkuroona Allaha illa qaleelan (an-Nisāʾ 4:142)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कपटाचारी अल्लाह के साथ धोखबाज़ी कर रहे है, हालाँकि उसी ने उन्हें धोखे में डाल रखा है। जब वे नमाज़ के लिए खड़े होते है तो कसमसाते हुए, लोगों को दिखाने के लिए खड़े होते है। और अल्लाह को थोड़े ही याद करते है

English Sahih:

Indeed, the hypocrites [think to] deceive Allah, but He is deceiving them. And when they stand for prayer, they stand lazily, showing [themselves to] the people and not remembering Allah except a little, ([4] An-Nisa : 142)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक मुनाफ़िक़ीन (अपने ख्याल में) ख़ुदा को फरेब देते हैं हालॉकि ख़ुदा ख़ुद उन्हें धोखा देता है और ये लोग जब नमाज़ पढ़ने खड़े होते हैं तो (बे दिल से) अलकसाए हुए खड़े होते हैं और सिर्फ लोगों को दिखाते हैं और दिल से तो ख़ुदा को कुछ यूं ही सा याद करते हैं