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اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَظَلَمُوْا لَمْ يَكُنِ اللّٰهُ لِيَغْفِرَ لَهُمْ وَلَا لِيَهْدِيَهُمْ طَرِيْقًاۙ   ( النساء: ١٦٨ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
and did wrong
وَظَلَمُوا۟
और ज़ुल्म किया
not
لَمْ
नहीं
will
يَكُنِ
है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
[to] forgive
لِيَغْفِرَ
कि वो बख़्श दे
them
لَهُمْ
उन्हें
and not
وَلَا
और ना
He will guide them
لِيَهْدِيَهُمْ
कि वो हिदायत दे उन्हें
(to) a way
طَرِيقًا
रास्ते की

Inna allatheena kafaroo wathalamoo lam yakuni Allahu liyaghfira lahum wala liyahdiyahum tareeqan (an-Nisāʾ 4:168)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन लोगों ने इनकार किया और ज़ुल्म पर उतर आए, उन्हें अल्लाह कदापि क्षमा नहीं करेगा और न उन्हें कोई मार्ग दिखाएगा

English Sahih:

Indeed, those who disbelieve and commit wrong [or injustice] – never will Allah forgive them, nor will He guide them to a path, ([4] An-Nisa : 168)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया और (उस पर) ज़ुल्म (भी) करते रहे न तो ख़ुदा उनको बख्शेगा ही और न ही उन्हें किसी तरीक़े की हिदायत करेगा