يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاۤءَكُمُ الرَّسُوْلُ بِالْحَقِّ مِنْ رَّبِّكُمْ فَاٰمِنُوْا خَيْرًا لَّكُمْ ۗوَاِنْ تَكْفُرُوْا فَاِنَّ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ( النساء: ١٧٠ )
Ya ayyuha alnnasu qad jaakumu alrrasoolu bialhaqqi min rabbikum faaminoo khayran lakum wain takfuroo fainna lillahi ma fee alssamawati waalardi wakana Allahu 'aleeman hakeeman (an-Nisāʾ 4:170)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ लोगों! रसूल तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से सत्य लेकर आ गया है। अतः तुम उस भलाई को मानो जो तुम्हारे लिए जुटाई गई। और यदि तुम इनकार करते हो तो आकाशों और धरती में जो कुछ है, वह अल्लाह ही का है। और अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है
English Sahih:
O mankind, the Messenger has come to you with the truth from your Lord, so believe; it is better for you. But if you disbelieve – then indeed, to Allah belongs whatever is in the heavens and earth. And ever is Allah Knowing and Wise. ([4] An-Nisa : 170)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ लोगों तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से रसूल (मोहम्मद) दीने हक़ के साथ आ चुके हैं ईमान लाओ (यही) तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अगर इन्कार करोगे तो (समझ रखो कि) जो कुछ ज़मीन और आसमानों में है सब ख़ुदा ही का है और ख़ुदा बड़ा वाक़िफ़कार हकीम है