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يَوْمَىِٕذٍ يَّوَدُّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَعَصَوُا الرَّسُوْلَ لَوْ تُسَوّٰى بِهِمُ الْاَرْضُۗ وَلَا يَكْتُمُوْنَ اللّٰهَ حَدِيْثًا ࣖ  ( النساء: ٤٢ )

(On) that Day
يَوْمَئِذٍ
जिस दिन
will wish
يَوَدُّ
चाहेंगे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
and disobeyed
وَعَصَوُا۟
और नाफ़रमानी की
the Messenger
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
if
لَوْ
काश
was leveled
تُسَوَّىٰ
बराबर कर दी जाए
with them
بِهِمُ
उन पर
the earth
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
and not
وَلَا
और ना
they will (be able to) hide
يَكْتُمُونَ
वो छुपा सकेंगे
(from) Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
(any) statement
حَدِيثًا
कोई बात

Yawmaithin yawaddu allatheena kafaroo wa'asawoo alrrasoola law tusawwa bihimu alardu wala yaktumoona Allaha hadeethan (an-Nisāʾ 4:42)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया होगा और रसूल की अवज्ञा की होगी, यही चाहेंगे कि किसी तरह धरती में समोकर उसे बराबर कर दिया जाए। वे अल्लाह से कोई बात भी न छिपा सकेंगे

English Sahih:

That Day, those who disbelieved and disobeyed the Messenger will wish they could be covered by the earth. And they will not conceal from Allah a [single] statement. ([4] An-Nisa : 42)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

उस दिन जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया और रसूल की नाफ़रमानी की ये आरज़ू करेंगे कि काश (वह पेवन्दे ख़ाक हो जाते) और उनके ऊपर से ज़मीन बराबर कर दी जाती और अफ़सोस ये लोग ख़ुदा से कोई बात उस दिन छुपा भी न सकेंगे