وَجَعَلَ فِيْهَا رَوَاسِيَ مِنْ فَوْقِهَا وَبٰرَكَ فِيْهَا وَقَدَّرَ فِيْهَآ اَقْوَاتَهَا فِيْٓ اَرْبَعَةِ اَيَّامٍۗ سَوَاۤءً لِّلسَّاۤىِٕلِيْنَ ( فصلت: ١٠ )
And He placed
وَجَعَلَ
और उसने गाड़ दिया
therein
فِيهَا
उसमें
firmly-set mountains
رَوَٰسِىَ
पहाड़ों को
above it
مِن
उसके ऊपर से
above it
فَوْقِهَا
उसके ऊपर से
and He blessed
وَبَٰرَكَ
और बरकत डाली
therein
فِيهَا
उसमें
and determined
وَقَدَّرَ
और अंदाज़े से रखा
therein
فِيهَآ
उसमें
its sustenance
أَقْوَٰتَهَا
उसकी ग़िज़ाओं को
in
فِىٓ
चार दिनों में
four
أَرْبَعَةِ
चार दिनों में
periods
أَيَّامٍ
चार दिनों में
equal
سَوَآءً
बराबर/यक्साँ है
for those who ask
لِّلسَّآئِلِينَ
सवाल करने वालों के लिए
Waja'ala feeha rawasiya min fawqiha wabaraka feeha waqaddara feeha aqwataha fee arba'ati ayyamin sawaan lilssaileena (Fuṣṣilat 41:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उसने उस (धरती) में उसके ऊपर से पहाड़ जमाए और उसमें बरकत रखी और उसमें उसकी ख़ुराकों को ठीक अंदाज़े से रखा। माँग करनेवालों के लिए समान रूप से यह सब चार दिन में हुआ
English Sahih:
And He placed on it [i.e., the earth] firmly set mountains over its surface, and He blessed it and determined therein its [creatures'] sustenance in four days without distinction – for [the information of] those who ask. ([41] Fussilat : 10)