ذٰلِكَ الَّذِيْ يُبَشِّرُ اللّٰهُ عِبَادَهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِۗ قُلْ لَّآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ اَجْرًا اِلَّا الْمَوَدَّةَ فِى الْقُرْبٰىۗ وَمَنْ يَّقْتَرِفْ حَسَنَةً نَّزِدْ لَهٗ فِيْهَا حُسْنًا ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ شَكُوْرٌ ( الشورى: ٢٣ )
Thalika allathee yubashshiru Allahu 'ibadahu allatheena amanoo wa'amiloo alssalihati qul la asalukum 'alayhi ajran illa almawaddata fee alqurba waman yaqtarif hasanatan nazid lahu feeha husnan inna Allaha ghafoorun shakoorun (aš-Šūrā 42:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसी की शुभ सूचना अल्लाह अपने बन्दों को देता है जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। कहो, 'मैं इसका तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता, बस निकटता का प्रेम-भाव चाहता हूँ, जो कोई नेकी कमाएगा हम उसके लिए उसमें अच्छाई की अभिवृद्धि करेंगे। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, गुणग्राहक है।'
English Sahih:
It is that of which Allah gives good tidings to His servants who believe and do righteous deeds. Say, [O Muhammad], "I do not ask you for it [i.e., this message] any payment [but] only good will through [i.e., due to] kinship." And whoever commits a good deed – We will increase for him good therein. Indeed, Allah is Forgiving and Appreciative. ([42] Ash-Shuraa : 23)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
यही (ईनाम) है जिसकी ख़ुदा अपने उन बन्दों को ख़ुशख़बरी देता है जो ईमान लाए और नेक काम करते रहे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं इस (तबलीग़े रिसालत) का अपने क़रातबदारों (अहले बैत) की मोहब्बत के सिवा तुमसे कोई सिला नहीं मांगता और जो शख़्श नेकी हासिल करेगा हम उसके लिए उसकी ख़ूबी में इज़ाफा कर देंगे बेशक वह बड़ा बख्शने वाला क़दरदान है